समस्यायें सबके जीवन में आती हैं। कोई उनके सामने रुक जाता है और कोई उनको सीढ़ी बना कर अधिक उन्नति कर लेता है। अतः समस्याओं के प्रति हम सकारात्मक मनोभाव रखें, जिससे हम उनसे लाभ उठा सकें, हमारे विकास के लिए ये हमे सीखना ही होगा ।हमेशा याद रखें कि समस्याओं से कोई बच नहीं सकता, वो तो हमें और मज़बूत बनाती है।जैसे एक परिवार कार से घूमने जा रहा था, रास्ते में गाड़ी का पहिया पंचर हो गया, पिताजी गाड़ी रोक कर पहिया बदलने लगे, परिवार का छोटा बच्चा परेशान हो गया और कहने लगा कि पिताजी हमारे साथ ही ऐसा क्यों हुआ? पिताजी ने समझाया, ये जीवन की वास्तविकता है, परेशानियां जीवन में आती रहती है, हमको इसका सामना करना पड़ेगा, ये टेलीविजन की चैनल की तरह नही है कि बदल दिया जाय। अतः बाधाएं, कठिनाइयां, चुनौतियां तो जीवन में आएगी ही ,जिनका डटकर मुकाबला करना होगा। जैसे एक कवि ने कहा है ‘ न कभी हवाएं रुकेंगी, न कभी बूझेंगें चिराग चलते रहो, ये तमाशा रात भर का है ‘
समस्याओं से घबराना नहीं है, बल्कि इनका सामना करने से व्यक्ति योग्य बनता है । जब तक लोहे को तपती हुई आग में न डालेंगें, तब तक उससे बढ़िया स्टील नहीं बनता है। शांत समुद्र में जहाज चलाने से नाविक निपुण नहीं बन सकता, अपनी कला का विकास करने के लिए उग्र समुद्र में नौका चलानी होगी । हमारे सामने बाधाएं इसलिए नही आती कि हम उससे परेशान हो बल्कि इसलिए आती हैं कि उसका सामना कर के हम अपनी शारीरिक शक्ति, मानसिक शक्ति, बौद्धिक शक्ति व आध्यात्मिक शक्ति का विकास करें। ये भगवान का तरीका है जिससे हम आगे की आध्यात्मिक उड़ान में सफलता प्राप्त कर सकें। हम सोचते हैं कि कोई आ जाए और सब समस्याओं को काट कर फेंक दे और हम सुखी हो जाये, किन्तु भगवान ने सृष्टि की रचना ही ऐसे की है। स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि जीवन ऐसा है कि परिस्थिति हमें दबाती है, हम सामना करके विकास करते हैं। इसीलिए किसी ने प्रार्थना स्वरूप कहा भी है:
‘मैंने भगवान से मांगा कि मुझे शक्तिशाली बनाओ, भगवान ने समस्याएं भेजी, जिनसे जूझ कर मैं अपनी शक्तियों को विकसित करू, मैंने भगवान से मांगा, मुझे बुद्धिमान बनाओ, उन्होंने समस्याओं में इतना उलझा दिया कि उनको सुलझा कर मेरी बुद्धि का विकास हो, मैंने भगवान से मांगा, मुझे शूरवीर, बहादुर बनाओ, भगवान ने खतरे भेजे, जिनसे पार हो कर मैं शौर्य को प्राप्त करू, मैंने भगवान से प्रेम मांगा, भगवान ने पीड़ित व्यक्तियों को भेजा, जिनकी सेवा करने से हृदय में प्रेम बढ़े।‘
ये विपरीत परिस्थितियों में विकास का तरीका है। यदि ऐसा भाव हम रखेंगें तो जिस भी प्रकार की विपरीत परिस्थिति हो , हम उसका भली प्रकार से सामना करके बहुत अधिक लाभ पायेंगें।

परेशानियों का कारण
यह संसार जैसा है वैसा है, हम इसके प्रति जो भाव रखते हैं, हमें उसका फल मिलता है।हम किसी के भी प्रति अच्छा या बुरा जैसा भाव रखेंगें, संसार हमें वैसा ही प्रतीत होता है। ...
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