मन एक सूक्ष्म यंत्र है, जो निरंतर विचार उत्पन्न करता रहता है। विचारों से ही शरीर में परिवर्तन आता है। सुख दुख की अनुभूति होती है। इसीलिए विचारों का इतना महत्त्व है। 2000 वर्ष पूर्व जगद्गुरु शंकराचार्य जी ने अपनी प्रश्नावली में एक प्रश्न रखा था ” विश्व पर कौन विजय प्राप्त करेगा? जिसका उत्तर यह है कि जो अपने मन पर विजय प्राप्त करेगा। उसका मन ऐसी अवस्था में पहुंच जाएगा , जिससे वह अन्य जीवों को अपने विचारों से प्रभावित कर पाएगा। इसीलिए शास्त्रों ने भी मन का इतना महत्व बताया है वो चाहे संसारी उपलब्धि का क्षेत्र हो या आध्यात्मिक उपलब्धि का क्षेत्र हो । हमको अपने विचारों को उत्कृष्ट बनाना है, दैवीय गुण संपन्न बनाना है। यदि हम पाते हैं कि वर्तमान में हमारे विचार घृणा, ईर्ष्या, चिंता युक्त हैं , तो इसके लिए हमारे मन की अवस्था ही जिम्मेदार है। हमको लगता है कि हमारे विचारों की चाभी बाहर की परिस्थितियां हैं। हम उस अंदर और बाहर की स्थिति की बारीकी को समझ नहीं पाते। हमारे मन में जो गड़बड़ विचार आते हैं, ये तो हमारे मन का दोष है , जो ऐसे सोच रहा है और हम संसार , आस पास के लोगों और तो और भगवान तक को दोषी ठहरा देते हैं। बाहर की परिस्थिति कैसी भी हो ये हमारी अपनी स्वतंत्रता होती है कि हम कैसे विचार रखते हैं। हमको कोई मजबूर नहीं कर सकता नकारात्मक विचार रखने के लिए। ये हमारी अपनी सोच पर निर्भर करता है। परिस्थितियां जैसी भी हो, विचार सकारात्मक ही होने चाहिए। तब मन पर नियंत्रण की संभावना होगी और उत्कृष्ट बनने की ओर बढ़ेंगे।
अंदर और बाहर की बारीकी का चित्रण एक मनोवैज्ञानिक ने द्वितीय विश्व युद्ध में अपनी आत्म कथा द्वारा बहुत सुंदर तरीके से किया है। जब जर्मनी में हिटलर का प्रकोप प्रारंभ हुआ, तब “विक्टर फ्रेंकले “ऑस्ट्रिया में मनोचिकत्सक थे। द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर ने सभी यहूदियों को जेलो में डाल दिया था और पशु से भी बद्तर व्यवहार किया था, जिसमें ये और इनका परिवार भी था । इन्हें उनकी पत्नी और बच्चों से भी अलग कर दिया था। उन यातनाओं के चलते उनकी पत्नी , बच्चों की मृत्यु हो गई थी । उन्हें भी बहुत कठिन हालातों से गुजरना पड़ रहा था। ऐसी कठिन परिस्थिति में उनको अनुभव हुआ कि एक स्वतंत्रता मेरे पास है, जो कोई मुझसे छीन नहीं सकता। वो यह कि ऐसे हालात में मै क्या सोचता हूं और कैसे बर्ताव करता हूं। मैं दुखी रहता हूं या परिस्थिति को स्वीकार कर संतुष्ट रहता हूं। उन्होंने अपनी स्वतंत्रता का उपयोग किया। निश्चय किया सकारात्मक ही सोचना है। परिणाम था कि वे हंसते, मुस्कुराते रहते थे और खुश रहने लगे । गार्ड व अन्य कैदी आश्चर्य चकित थे। वे सब लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गए । असहनीय यातनाओं के कारण जहां 60 लाख लोग मरे, वे जीवित रहे।जब जर्मनी हारा ,वो वहां से इजराइल चले गए और उन्होंने एक किताब लिखी जिसका नाम था “Search for meaning in life ” 300 विश्वविद्यालयों में उनके व्याखान हुए और 29 विश्वविद्यालयों ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की। लगभग 21 भाषाओं में उनकी किताब का अनुवाद हुआ। उन्होंने अपना अनुभव बताया कि बाहर की परिस्थिति को हम हमेशा कंट्रोल नहीं कर सकते, वो तो जैसी है वैसी है, लेकिन हम क्या सोचते हैं ,इस पर हमारा पूरा नियंत्रण है। सकारात्मक सोच से बड़ी से बड़ी कठिनाई से पार पा सकते हैं।

Surrender: Tool for Success in the Path of Devotion
The journey of devotion is blissful. Devotion is the bridge between mortals and God, between human souls and the Supreme Soul as the soul tends to seek its divine origin of bliss—God. Nevertheless, this path ...
विचारों का प्रभाव
मन एक सूक्ष्म यंत्र है, जो निरंतर विचार उत्पन्न करता रहता है। विचारों से ही शरीर में परिवर्तन आता है। सुख दुख की अनुभूति होती है। इसीलिए विचारों का इतना महत्त्व है। 2000 वर्ष पूर्व ...
Why do bad things happen to good people?
Why do bad things happen to good people? When we say good or bad happened to someone, we jump to conclusions. The law of karma operates on a soul’s journey through endless lives. We all ...
परेशानियों का कारण
यह संसार जैसा है वैसा है, हम इसके प्रति जो भाव रखते हैं, हमें उसका फल मिलता है।हम किसी के भी प्रति अच्छा या बुरा जैसा भाव रखेंगें, संसार हमें वैसा ही प्रतीत होता है। ...
Spirituality Versus Religiousness
1️What is the difference b/w spirituality and religiousness? Every religion has two aspects: Religiousness, which manifests as a cultural setting consisting of its traditions, customs, rituals, practices, etc. Spirituality i.e. to develop a love for ...
How to Fight Maya and Take Our Mind to God?
The world that we live in has various belief systems that operate on personal faiths, opinions and experiences. It is common to find that many people hop on the bandwagon of opinions that are enforced ...